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लेखनी प्रतियोगिता -27-May-2022

फसल


कृषक का दिल खिल गया,महनत का रंग जब मिल गया
कण-कण मिट्टी का खिला, बन स्वर्ण है बिखरा
फसल सुनहरी लहराई है, महनत रंग लाई है
अद्भुत उत्साह है दिल में ,कृषक की आँख भर आई है

हाथों को अपने देखता है, लकीरों को भी ताकता है
इश्वर की अनुकम्पा है,स्वर्णिम फसल की लंका है
प्रकृति ने उपकार किया,फसल पर मेरी दया का दान किया
नहीं अकेला मैं इसके पीछे,कई हाथो ने काम किया

फसल को देख मन मयूर हो रहा,गद गद हो नाच रहा
अब बादल वर्षा कर दे,या पवन आँधी कर दे
कट गई है फसल मेरी,मिट गयी सब चिंता मेरी
धूप के बाद छाँव है आती,हर किसी की राह बदलती 

आज समझ आया है,महनत ने जब रंग दिखाया है
महनत से ही नर का रुप निखरता है,भाग्य तभी बदलता है
कृषक का भी दिन आता है,जब लहर लहर खेत लहराता है
फसल जब लहराती है,मौन रह कृषक की मनोदशा बताती है

श्वेता दूहन देशवाल मुरादाबाद उत्तर प्रदेश 


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6 Comments

बहुत ही बेहतरीन रचना 👌👌

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Shnaya

28-May-2022 12:38 PM

बेहतरीन

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Punam verma

28-May-2022 10:57 AM

Nice

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